कुदरत के खजाने मे सिमटी जय देवी - मण्डी जिला की खूबसूरत सुँदरनगर घाटी के आगोश मे बसा जयदेवी गाँव कुदरत की सुँदरता का उत्कृष्ट नमूना है।धनोटु करसोग राजमार्ग पर बसा यह गाँव कामाक्षा माता के मँदिर के कारण दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।भगयार धार के आँचल मे बसे इस गाँव का नाम भी देवी की यहाँ स्थापना के बाद ही जय देवी पड़ा । यह देवी सुकेत शासकों की कुल देवी कामाक्षा ही है। जिसे आप "जयदेवी माता" के नाम से भी जानते हैं ।
सुकेत शासकों ने पाँगणा के बाद लोहारा और फिर करतारपुर(पुराना बाजार) मे सुकेत की राजधानी बनने के बाद कामाक्षा के मँदिर की जयदेवी मे स्थापना की।देवी का मूल मँदिर "असम" में है। जय देवी का यह मँदिर सेन वँशीय सुकेत शासकों के परिवार के साथ आज स्थानीय लोगों की श्रद्धा और आस्था का स्थल है।माता से की गई मन्नौती पूर्ण होने के बाद श्रद्धालु यहाँ "जातर" लाकर अपनी मन्नौतियाँ माँ के चरणों मे अर्पित करते है।
नवरात्रो मे माँ के पूजन- अर्चन के कारण श्रद्धालुओ की भीड़ रहती है। पहले यह मँदिर शिखर शैली का था । स्थानीय वासियो ने आज आपसी सहयोग से इस मँदिर का जीर्णोद्धार कर इसे भव्य रूप प्रदान किया है। मँदिर के गर्भगृह मे माँ कामाक्षा की प्रस्तर प्रतिमा पूज्य है। विवाह शादियो और उत्सवो के आयोजन के लिए मँदिर के साथ सराय भवन बना है।